Monday, 29 December 2014
Saturday, 27 December 2014
SARBANS DANI SRI GURU GOBIND SINGH JI
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Wednesday, 24 December 2014
Friday, 19 December 2014
Kahani comics ki _Part 1
कॉमिक्स-समाज का आईना, बीता हुआ कल
आज की भागती दौड़ती ज़िन्दगी और
इंटरनेट के मायाजाल में हमने बहुत कुछ पाया और बहुत कुछ खोया भी है. आज मात्र एक
क्लिक के सहारे हम दुनिया की कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. लेकिन कुछ चीज़ें
ऐसी भी हैं, जो अब लगता नहीं कि वापिस लौटेंगी. मेरा इशारा हमारे बचपन के
कॉमिक्स के उन सुपर हीरोज की तरफ है जो कि आज गुमनामी के अंधरे में खो चुके हैं.
उस समय के कॉमिक्स के हीरो हमारा मनोरंजन करने के साथ-साथ समाज में जुर्म के खिलाफ
लड़ने का सन्देश भी देते थे. उस समय जहाँ चाचा चौधरी, साबू, बिल्लू , पिंकी, रमन, नागराज, सुपर कमांडो धुर्व जैसे भारतीय कॉमिक्स और
विदेशी कॉमिक्स सुपरमैन, स्पीडरमैन,
ही मैन, बैट मैन का भी बोलबाला था. और इस बात में
कोई शक नहीं कि रंग-बिरंगे कागज़ पर छपे हुए कॉमिक्स के पन्नों को मजे से पलटते हुए
पढ़ने में जो आनंद था, वह आज कंप्यूटर की स्क्रीन पर माउस द्वारा या टेबलेट, मोबाइल की
स्क्रीन पर उँगलियाँ स्पर्श करने से प्राप्त नहीं हो सकता. उस समय के कॉमिक्स समाज
को बुराई के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करते थे. उन
कॉमिक्स को पढ़ने से बच्चों में धैर्य के साथ बौद्धिक शक्ति का भी विकास होता था.
मैं यह तो नहीं कहूँगा कि उस समय की पत्रिकाओं में अश्लीलता नहीं थी. उस दशक में
"मस्तराम" की कलम ने जो नुक्सान किया उससे कहीं ज्यादा आज बच्चों के
हाथों में मोबाइल और इंटरनेट के होने से हो रहा है. इस बदलते समय में कुछ रोका तो नहीं जा सकता
लेकिन हम स्वेयं एवं अपनी पीढ़ी को अच्छे साहित्य से जोड़ने का प्रयास करें, ताकि गंदे
साहित्य से होने वाले अपराधों से समाज को बचा सकें.आज हमारे समाज में
"बलात्कार" का जो राक्षस छाया हुआ है, उसके खिलाफ भी हम कॉमिक्स के जरिये से आवाज़
उठा सकते हैं. मेरा अनुरोध आज के कार्टूनिस्टों से कि वह ऐसे कॉमिक्स कैरक्टर्स को
जन्म दें जो नारी को सम्मान देने के सन्देश को बचपन से बच्चों के मन में भर दें, ताकि
"निर्भया" और "वीरा" जैसे जघन्य अपराध न हों.
Thursday, 11 December 2014
BHARTIYA SAMAJ, DHARM AUR PARIVARTAN
भारतीय समाज धर्म और परिवर्तन
प्राचीन काल से ही मनुष्य को
परिवर्तित होने की बड़ी ही प्रबल ईछा रही है I वह सदैव ही अपने आपको बदलने और बेहतर साबित
करने की होड में भागता रहा है I मनुष्य ने बाहरी तल पर तो बहुत तरक्की की, अपने रहन-सहन
को बदल पाषाण युग से आज हम मोबाइल युग में जी रहें है, लेकिन
आंतरिक तल पर आज भी हम उसी पाषाण युग में जी रहें हैं i मेरे कहने
का अभिप्राय यह है कि हम आज भी अन्धविश्वास की जंजीरों में जकड़े हुए हैं | यदि ऐसा न
होता तो हम आज भी लाल किताब, श्रीयन्त्र,
जंत्र -मंत्र , ताबीज आदि
बेचने वाले बाबाओं की दुकाने न चला रहे होते , और समोसे-गोलगप्पे खिला कर कृपा बांटने का
दावा करने वाले बाबाओं की तिजोरिया न भर रहे होते | हाल ही में हमने आसाराम बापू और रामपाल जैसे
पाखंडी लोगों को जेल में जाते देखा है | पर फिर भी हमें आवश्यकता है स्वयं जाग्रत
होने की एवं अपनी पीढ़ी को जगाने की | क्योंकि जब-जब भी धर्म की बात की जाती है तो
कई तरह के विवाद खड़े हो जाते हैं ,
और लोग एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो जाते हैं , हाल ही
में त्रिलोकपुरी दिल्ली में हुआ दंगा भी
इसका एक उदहारण है | इन सब घटनाओ से बचने के लिए हमें अपनी धार्मिक सोच में बदलाव
लाना होगा | भले ही हम आज खुद को मॉडर्न कहने का दावा कर रहें हैं , किन्तु हम
कितने आधुनिक हैं , हम स्वयम ही जानते हैं | कितनी विचित्तर विडंम्बना है की हम अनुकरण
तो करते हैं पश्चिमी सभ्यता का ,
लेकिन पश्चिमी सभ्यता पर ही उँगलियाँ उठाते
हैं कि उनकी वजह से हमारे समाज का पतन हो रहा है | ज़रा गौर से देखें तो हम पाएंगे कि उन देशों
ने हर क्षेत्र में तरक्की क़ी है |
उन लोगों ने कभी धर्म को अपनी कमज़ोरी नहीं
बनने दिया, बल्कि धर्म को अपनी शक्ति बना कर उनत्ति एवं प्रगति का मार्ग
प्रशस्त किया है | आज जापान, चीन , अमेरिका जैसे देश ऊंचाइयों को छू रहे हैं | और हम
धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों के हाथों क़ी कठपुतलियाँ बन कर भारत क़ी प्रगति
को नष्ट किये जा रहें हैं |
अंत में संक्षेप में मैं यही कह कर
समाप्त करूंगा कि धर्म के नाम पर लड़ना- झगड़ना छोड़ कर एक हो जाएँ | भारत एक
धर्म निरपेक्ष राज्य है , यहाँ सब को अपनी ईछानुसार धर्म पालन करने क़ी स्वंतरता है | कंकर-पत्थर
के बने धार्मिक स्थानो पर झगड़ने क़ी बजाय अपने मन को ही मंदिर-मस्जिद का रूप दें
दें , ताकि मेरा भारत फिर से सोने क़ी चिड़िया बन सके |
आज हमें भगवतगीता को राष्ट्रीय
ग्रन्थ बनाने क़ी आवश्यकता नहीं ,
बल्कि गीता का वास्तविक ज्ञान यानि मनुष्य
को कर्मयोगी बनने क़ी प्रेरणा देने आवश्यकता है , ताकि देश एवं समाज तरक्की कर सके |
Tuesday, 9 December 2014
humanity these days
जो भी है तु म्हI रे पा स,
वो अ ल्प न हीं होता,
जो टू ट जाए वो ,
संकल्प नहीं होता ,
हार को लक्ष्य से दूर ही रखना ,
क्योँकि जीत का कोई विकल्प नहीं होता
सदैव सकारातमक ही सोचें।
JO BHI HAI TUMHARE PAAS,
VO ALP NAHIN HOTA,
JO TOOT JAAYE VO,
SANKALP NAHIN HOTA,
HAAR KO LAKSHYA SE DOOR HI RAKHNA,
KYONKI JEET KA KOI VIKALP NAHIN HOTA,
STAY POSITIVE............
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SIKH DHARAM & SHRAADH
# ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਅਤੇ ਸ਼ਰਾਧ # ਪਿੱਤਰ ਪੂਜਾ ਅਤੇ ਸ਼ਰਾਧ ਜੋ ਕਿ ਹਿੰਦੂ ਸਮਾਜ ਦੀਆਂ ਪੁਰਾਤਨ ਰਹੁ ਰੀਤਾਂ ਹਨ , ਇਹਨਾਂ ਰੀਤਾਂ ਨੂੰ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਸਮਾਜ ਕਾਫੀ ਪੁਰਾਣੇ ਸਮੇ ਤੋਂ ...