Friday, 19 December 2014

Kahani comics ki _Part 1

कॉमिक्स-समाज का आईना, बीता हुआ कल

आज की भागती दौड़ती ज़िन्दगी और इंटरनेट के मायाजाल में हमने बहुत कुछ पाया और बहुत कुछ खोया भी है. आज मात्र एक क्लिक के सहारे हम दुनिया की कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. लेकिन कुछ चीज़ें ऐसी भी हैं, जो अब लगता नहीं कि वापिस लौटेंगी. मेरा इशारा हमारे बचपन के कॉमिक्स के उन सुपर हीरोज की तरफ है जो कि आज गुमनामी के अंधरे में खो चुके हैं. उस समय के कॉमिक्स के हीरो हमारा मनोरंजन करने के साथ-साथ समाज में जुर्म के खिलाफ लड़ने का सन्देश भी देते थे. उस समय जहाँ चाचा चौधरी, साबू, बिल्लू , पिंकी, रमन, नागराज, सुपर कमांडो धुर्व जैसे भारतीय कॉमिक्स और विदेशी कॉमिक्स सुपरमैन, स्पीडरमैन, ही मैन, बैट मैन का भी बोलबाला था. और इस बात में कोई शक नहीं कि रंग-बिरंगे कागज़ पर छपे हुए कॉमिक्स के पन्नों को मजे से पलटते हुए पढ़ने में जो आनंद था, वह आज कंप्यूटर की स्क्रीन पर माउस द्वारा या टेबलेट, मोबाइल की स्क्रीन पर उँगलियाँ स्पर्श करने से प्राप्त नहीं हो सकता. उस समय के कॉमिक्स समाज को बुराई के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करते थे. उन कॉमिक्स को पढ़ने से बच्चों में धैर्य के साथ बौद्धिक शक्ति का भी विकास होता था. मैं यह तो नहीं कहूँगा कि उस समय की पत्रिकाओं में अश्लीलता नहीं थी. उस दशक में "मस्तराम" की कलम ने जो नुक्सान किया उससे कहीं ज्यादा आज बच्चों के हाथों में मोबाइल और इंटरनेट के होने से हो रहा है. इस बदलते समय में कुछ रोका तो नहीं जा सकता लेकिन हम स्वेयं एवं अपनी पीढ़ी को अच्छे साहित्य से जोड़ने का प्रयास करें, ताकि गंदे साहित्य से होने वाले अपराधों से समाज को बचा सकें.आज हमारे समाज में "बलात्कार" का जो राक्षस छाया हुआ है, उसके खिलाफ भी हम कॉमिक्स के जरिये से आवाज़ उठा सकते हैं. मेरा अनुरोध आज के कार्टूनिस्टों से कि वह ऐसे कॉमिक्स कैरक्टर्स को जन्म दें जो नारी को सम्मान देने के सन्देश को बचपन से बच्चों के मन में भर दें, ताकि "निर्भया" और "वीरा" जैसे जघन्य अपराध न हों.                              

2 comments:

  1. yes sir, you are right, now the real heroes of comics characters are vanished from society

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