Thursday, 15 January 2015

Sangeet Aur Plastic Ka Prem

संगीत और प्लास्टिक का प्रेम

संगीत ईश्वर की देन है, संगीत प्रकृति से प्रकट होकर मनुष्य की आत्मा को शांति और सुकून दे रहा है . प्राकृतिक संगीत का कोई अंत नहीं है . बहते हुए झरनों, नदोयों में जल की कल-कल करती आवाज़ें हों या पक्षियों का चहचहाना, संगीत इस सृष्टि में समाया हुआ है . किसी लेखक ने कहा है कि  “Music is the Language of soul” संगीत आत्मा की आवाज़ है . बदलते समय के साथ-२ इस संगीत के माध्यम भी बदलते रहे हैं . विज्ञान का सिद्धांत है कि "ध्वनि गमन के लिए माध्यम कि आवयश्कता होती हैऔर संगीत ध्वनि से ही उत्पन्न होता है . जब मनुष्य ने विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की की तो उसने इस संगीत को सदा के लिए संजोकर रखने का प्रयास किया .  इस प्रयास में प्लास्टिक एक प्रभावी माध्यम बना . सबसे पहले इस संगीत ने प्लास्टिक के एल .पी. रिकॉर्ड डिस्क के साथ खुद को जोड़ा, और एक लम्बे अंतराल तक रिकॉर्ड प्लेयर की डिस्क जो कि प्लास्टिक की होती थी, उसकी सतह पर उकेरी गयी लकीरों में खुद को संजोये रखा और रिकॉर्ड प्लेयर की सुई की चुभन को भी सहते हुए संगीत के साथ प्रेम किया और हमें आनंदित किया . समय बदला और संगीत का माध्यम रिकॉर्ड प्लेयर डिस्क से बदलकर टेप रिकॉर्डर की ऑडियो कैसेट (जो कि प्लास्टिक कि होती थी) से जा जुड़ा और ऑडियो कैसेट के रिबन में समा गया .  कैसेट की रील का दो चकरियों पर घूमना और स्वयं एक इलेक्ट्रॉनिक मैगनेट (टेप रिकॉर्डर हेड) का करंट सहते हुए भी संगीत का दामन नहीं छोड़ा . समय ने फिर करवट ली और ऑडियो कैसेट का रूप बदलकर प्लास्टिक की सी.डी.(कॉम्पैक्ट डिस्क) में परिवर्तित हो गया .  प्लास्टिक की सी.डी. में संगीत को ज्यादा लम्बे समय तक संजोकर रखा जाने लगा, क्योंकि इसमें कोई मशीनी घर्षण ना होने की वजह से संगीत की गुणवत्ता को कोई हानि नहीं पहुँचती थी . प्लास्टिक ने अपने प्रेम को प्लास्टिक से बांधे रखा और स्वयं को सुरक्षित कर लिया I समय का चक्र फिर घूमा और संगीत ने प्लास्टिक का माध्यम फिर बदला .  इस बार संगीत बहुत ही महीन आकार में परिवर्तित हुआ, यानि कि आज के युग के पेन ड्राइव और मेमोरी कार्ड्स भले ही इन उपकरणों में लगी माइक्रो चिप तो प्लास्टिक की नहीं होती परन्तु इसको ढकने या कवर करने के लिए अब भी प्लास्टिक का ही इस्तेमाल होता है . पेन ड्राइव , मेमोरी कार्ड हो या कार्ड रीडर इन सबको कवर करने में प्लास्टिक ही प्रधान है . यानि कि आधुनिक युग में प्लास्टिक का संगीत से लगाव और प्रेम टूटा नहीं है . और मैं यह आशा करता हूँ कि यह प्रेम सदा बना रहे .      

2 comments:

SIKH DHARAM & SHRAADH

  # ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਅਤੇ ਸ਼ਰਾਧ # ਪਿੱਤਰ ਪੂਜਾ ਅਤੇ ਸ਼ਰਾਧ ਜੋ ਕਿ ਹਿੰਦੂ ਸਮਾਜ ਦੀਆਂ ਪੁਰਾਤਨ ਰਹੁ ਰੀਤਾਂ ਹਨ , ਇਹਨਾਂ ਰੀਤਾਂ ਨੂੰ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਸਮਾਜ ਕਾਫੀ ਪੁਰਾਣੇ ਸਮੇ ਤੋਂ ...